Thursday, July 23, 2015

An Open Letter to Sushma Swaraj on Bhopal Gas Tragedy



Adil Shahryar

जुलाई , २०१५

आदर्णीय सुषमा जी,

आज आप मध्यप्रदेश से सांसाद भी हैं और भारत की विदेश मंत्री भी, ये हमारे लिए गौरव की बात है। पर यह खुली चिट्ठी मैं आपको "भोपाल गैस काण्ड" के विषय में लिख रहा हूँ।

बचपन से इस काण्ड के बारे में सुनते आए। कई रिश्तेदार भोपाली होने के कारण भी इसकी चर्चा घर पर चलती रही। सुना तो बहुत था कि इतने हज़ारों लोग मरे, और ऐसा हुआ या वैसा हुआ, पर कानून और न्याय पर नज़र कुछ बड़े होने के बाद ही पड़ी।

२०१० मई में, विभिन्न राष्ट्रपतियों ने कितने अपराधियों पर अनुकम्पा कर क्षमा किया, ये पढ़ रहा था। शोध करते-करते, अमरीका के विषय में आदिल शहरयार का नाम पढ़ा। आदिल के नाम के साथ लिखा था - भारत के प्रधानमंत्री के करीबी, मोहम्मद यूनुस का पुत्र। मैं थोड़ा चौंक गया कि ये महानुभाव कौन हैं जिनके पिता भारत के किसी प्रधानमंत्री के करीबी माने जाते हैं और ये अमरीका में कोई ऐसा अपराध कर बैठे हैं, जिसकी सज़ा इतनी कड़ी है कि इन्हे अमरीकी राष्ट्रपति से क्षमा प्राप्त हुई। मैने तारीख जाँची, ११ जून १९८५। तब तो राजीव गाँधी भारत के प्रधानमंत्री थे। मतलब ये आदिल शहरयार के पिता मोहम्मद यूनुस गाँधी परिवार के कोई अत्यंत करीबी व्यक्ति होंगे

स्वाभाविक सी बात है कि मेरी उत्सुकता का ठिकाना नहीं रहा और रात दिन एक करके इंटरनैट के माध्यम से इस विषय पर खोज शुरू की। तो पता चला मोहम्मद यूनुस १९४४ के आसपास से इंदिरा गाँधी के करीबी मित्र रहे, और उनका लड़का, आदिल, और इंदिरा गाँधी के लड़के, राजीव और संजय, बचपन के करीबी मित्र रहे। थोड़ा और आगे बढ़ा तो जाना कि १९८० में आदिल शहरयार पर अमरीका में किसी होटल को बम से उड़ाने का प्रयत्न करने पर पाँच विभिन्न नियमों के तहत आरोप लगे थे, जो साबित होने पर वहाँ के न्यायालय ने उन्हें ३५ बरस तक कारावास में रहने का दण्ड दिया था। अरे बाप रे! आतंकवाद का आरोप? वो भी ऐसे किसी व्यक्ति पर जिसका परिवार भारत के नेहरु-गाँधी परिवार से अत्यंत करीब है, इतना करीब कि संजय गाँधी के विवाह की रस्में तक उनके घर में अदा की गई हों। पैरों तले जमीन खिसक गई।

देखते देखते मालूम हुआ कि अमरीका में आदिल शहरयार हॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों में से एक चार्लस्टन हैस्टन के संरक्षण में रह रहे थे। बहुत बड़ी बात है ये। भारत के सबसे शक्तिशाली राजनैतिक परिवार से संबंधों का ऐसा लाभ कि विश्व के सर्वशक्तिमान राष्ट्र अमरीका का अत्यंत मशहूर कलाकार उनका संरक्षण करे। और हैस्टन ने अमरीकी एटॉर्नी जनरल से आदिल की रिहाई की माँग की। कहा ये सारा कुछ गलत हुआ है, इत्यादि। अमरीकी एटॉर्नी जनरल से हैस्टन का ये पत्राचार तीन भागों में आधिकारिक तौर पर उपलब्ध है। और ऐसे मशहूर, सम्मानित कलाकार ने आदिल को छुड़ाने की पुरजोर कोशिश की और उसकी एक नहीं सुनी गई? तो जिज्ञासा जागी कि फिर १९८५ में ऐसा क्या हुआ कि अमरीकी राष्ट्रपति ने आदिल को क्षमा कर दिया? कुछ तो बड़ा हुआ होगा।

दरअसल, ११ जून १९८५ को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाँधी अमरीका गए, और न्यू यॉर्क टाइम्स तथा अन्य समाचार पत्रिकाओं के आधार पर पता चला कि इस उपलक्ष पर अमरीकी राष्ट्रपति ने, बिना कुछ अपने देशवासियों को समझाए आदिल शहरयार को क्षमा कर मुक्त कर दिया

 
Warren Anderson
इस घटना से सात माह पूर्व, ८ दिसंबर १९८४ को, राजीव गाँधी ने भोपाल गैस काण्ड में गिरफ्तार हुए वारन ऐण्डरसन को भी ऐसे ही, अपने देशवासियों को बिना कुछ समझाए, नियमों को ताक पर रख, रिहा करके, भारत से भगा दिया था।

फिर २०१० में ही समाचार पत्रिकाओं के हवाले से ज्ञात हुआ कि अमरीका की कुख्यात खुफिया संस्था सीआईए ने एक अधूरे दस्तावेज़ को जनता के समक्ष रखा है जिसमें भोपाल गैस काण्ड आरोपी वारन ऐण्डरसन की रिहाई की दास्तान लिखी गई। ये एक खुफिया संदेश था जो कुछ दशकों बाद सूचना अधिकार के अंतर्गत जनता के समक्ष रख दिया गया।

इस दस्तावेज़ में अधिकांश भाग पर काली स्याही है, पर इतना कहा गया है कि ऐण्डरसन को राजीव गाँधी नें छोड़ा। और उनका मानना था कि भारत में चुनाव आने की वजह से ऐण्डरसन और भोपाल गैस काण्ड के मुद्दे पर राजनैतिक गर्मी बन सकती थी।
 

नतीजा ये कि ऐण्डरसन भारतीय कानून के शिकंजे से हमेशा के लिए छूट गया। भोपाल गैस काण्ड में हुईं मृत्युओं को न्याय न मिल सका। ३१ बरस पूरे होने वाले हैं, पीढ़ियाँ बदल चुकी हैं पर न्याय नहीं मिला। आज न ऐण्डरसन जीवित है, न राजीव गाँधी, न आदिल शहरयार, न मोहम्मद यूनुस, न मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जन सिंह, न चार्लस्टन हैस्टन, न अमरीकी ऐटॉर्नी जनरल विलियम स्मिथ और न ही अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन। अब न्याय की कोई गुँजाइश नहीं


जरा ध्यान से देखें तो पाएँगे कि ये बड़ा विचित्र संजोग है। अवश्य ही राजीव गाँधी के अमरीका आने की खुशी १९८५ में इतनी नहीं हो सकती कि उनके राष्ट्र में आतंक के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को क्षमा करके मुक्त कर दें। जिस व्यक्ति के विषय में वहाँ के एटॉर्नी जनरल ने हैस्टन की एक न चलने दी, और उसे न छोड़ने के साफ कारण बताए, उसे दो राष्ट्रों के बीच किसी महत्व के आदान-प्रदान के आधार पर ही कारागार से बाहर निकाला जा सकता था

अगर कोई सुराग बचे हैं तो वो हैं
१. अमरीकी खुफिया विभाग का वह खुफिया वर्णन जिसमें राजीव गाँधी का हाथ होने की बात कही है।
२. अमरीकी एटॉर्नी जनरल से चार्लस्टन हैस्टन का पत्राचार।

३. न्यु यॉर्क टाइम्स जैसे सामाचार पत्रों में छपी खबर कि राजीव गाँधी के अमरीका दौरे के अवसर पर अमरीकी राष्ट्रपति ने आदिल शहरयार को क्षमा करके रिहा किया।



A mother and a child victim of Bhopal Gas Leak
आप से निवेदन है कि आप ये दो कार्य करवाएँ-

१. आप शीघ्रातिशीघ्र अमरीका से इस दस्तावेज का बाकि बचा हिस्सा भारत सरकार को सौंपने की बात रखें

२. आप हैस्टन-एटॉर्नी जनरल पत्राचार और समाचार पत्रों में छपी खबर को आधार बनाकर यह भी पूछें कि क्या ऐण्डरसन को रिहा करने के बदले आदिल शहरयार को अमरीका ने रिहा किया।

आपसे यह भी निवेदन है कि अमरीका भारत की इन माँगों को संवेदनशील तरीके से देखे, मानवाधिकार का सम्मान करे, न्याय न मिल सकने के कारण कम से कम संबंधियों को यह तो बताए कि घटना के पीछे का सत्य क्या था
अगर आपको कोई भी दस्तावेज़ चाहिए हो तो मुझे बताएँ, पाँच मिनट में पहुँचा दूँगा।

आप उन्हें बलपूर्वक यह भी आग्रह करें कि यह सारी जानकारी, अमरीका भारत को
दिसंबर २०१५ तक दे दे। यह आश्वासन भी ज़रूरी है कि इससे भारत-अमरीका के रिश्तों पर कोई आँच नहीं आएगी, बल्कि एक मानवाधिकार के आधार पर नई नज़दीकी ही बनेगी।

आप पर बहुत विश्वास है।

सादर,

पियूष कुलश्रेष्ठ
(@thinkerspad)